हम जुदाई में तेरी खुद से निभाते रह गए
हम जुदाई में तेरी खुद से निभाते रह गए
इक मिलन की चाह में पलकें बिछाते रह गए
नींद से अब तो रहा अपना कोई नाता नहीं
याद में तेरी ही हम आँसू बहाते रह गए
दिल्लगी करते रहे हर बात पर हमसे सदा
मूर्ख थे हम जो यहाँ दिल को सताते रह गए
प्यार की कसमें तो उनसे थी नहीं खाई गईं
सिर्फ़ चेहरे को ही हम पढ़ते पढ़ाते रह गए
दिल जो टूटा तो बिखर कर रह गए हम तो वहीं
रास्ते जब की नये हमको बुलाते रह गए
ये नहीं सोचा उन्होंने प्यार हमने भी किया
वो हमारे सब्र को ही आजमाते रह गए
साथ रह पाए नहीं हम हो गईं राहें अलग
झूठ पर वो लेप सच का ही लगाते रह गए
‘अर्चना’ करते रहे पहले नज़र अंदाज़ वो
फेर जब हमने लिया मुँह वो मनाते रह गए
07-08-2022
डॉ अर्चना गुप्ता