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7 Aug 2022 · 1 min read

हम जुदाई में तेरी खुद से निभाते रह गए

हम जुदाई में तेरी खुद से निभाते रह गए
इक मिलन की चाह में पलकें बिछाते रह गए

नींद से अब तो रहा अपना कोई नाता नहीं
याद में तेरी ही हम आँसू बहाते रह गए

दिल्लगी करते रहे हर बात पर हमसे सदा
मूर्ख थे हम जो यहाँ दिल को सताते रह गए

प्यार की कसमें तो उनसे थी नहीं खाई गईं
सिर्फ़ चेहरे को ही हम पढ़ते पढ़ाते रह गए

दिल जो टूटा तो बिखर कर रह गए हम तो वहीं
रास्ते जब की नये हमको बुलाते रह गए

ये नहीं सोचा उन्होंने प्यार हमने भी किया
वो हमारे सब्र को ही आजमाते रह गए

साथ रह पाए नहीं हम हो गईं राहें अलग
झूठ पर वो लेप सच का ही लगाते रह गए

‘अर्चना’ करते रहे पहले नज़र अंदाज़ वो
फेर जब हमने लिया मुँह वो मनाते रह गए

07-08-2022
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 320 Views
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