हम जीये यहाँ इस तरहां
हम जीये यहाँ इस तरहां, सबको खुशी यहाँ हमसे मिले।
बद से सदा हम दूर रहे, सच की राह हम हमेशा चले।।
हम जीये यहाँ इस तरहां——————–।।
आपस में हम यूं ना लड़े, बांटे नहीं हम यह जमीं।
कुछ नहीं मिलेगा इससे हमको, देती है जीवन हमको जमीं।।
हम जीये और जीने दें सबको, सबके सपनें यहाँ फले।
हम जीये यहाँ इस तरहां——————-।।
ना कोई हो यहाँ उदास, ना कोई यहाँ भूखा रहे।
सबकी हो यहाँ हिफाजत, आबाद सब यहाँ पे रहे।।
रोशनी हो यहाँ हर घर में, खिलता हुआ हर चेहरा मिले।
हम जीये यहाँ इस तरहां——————–।।
भूलें नहीं हम अपना ईमान, निभायें सदा हम अपना फर्ज।
भूलें नहीं उनकी कुर्बानियाँ, हम पर बहुत है जिनका कर्ज।।
आबाद वतन यह अपना रहे, चैनो अमन हर जगह यहाँ मिले।
हम जीये यहाँ इस तरहां———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)