हम जिएंगे, ऐ दोस्त
हर चोट खाकर भी
हर ज़ख्म लेकर भी
हम जीएंगे, ऐ दोस्त
हर दर्द सहकर भी…
(१)
इन मजलूमों के लिए
उन महरूमों के लिए
हर देश-हर समाज के
सारे मासूमों के लिए
हम जिएंगे, ऐ दोस्त
तिल-तिल मरकर भी…
(२)
ये कामयाब लोग
ख़ुश और आबाद लोग
कैसे समझेंगे हमें
आख़िर बंद दिमाग़ लोग
हम जिएंगे, ऐ दोस्त
नाकाम होकर भी…
(३)
स्याही से लिखेंगे
या आंसू से लिखेंगे
वक़्त के सवालों पर
अपने लहू से लिखेंगे
हम जिएंगे, ऐ दोस्त
गुमनाम रहकर भी…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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