हम क्यों लगाये यह दिल तुमसे
हम क्यों लगाये यह दिल तुमसे, क्या हमको मिलेगा।
क्या हम आबाद होंगे इससे, क्या सुख हमको मिलेगा।।
हम क्यों लगाये यह दिल —————————।।
तू है हसीन इस जमीं पर, यह बात हम जानते हैं।
होते हैं खूब दगाबाज यहाँ, ऐसा भी हम जानते हैं।।
हम क्यों संजोये ख्वाब तेरा, क्या चैन हमको मिलेगा।
हम क्यों लगाये यह दिल———————–।।
क्या है हकीकत इन फूलों की, वाकिफ हैं हम इनकी महक से।
करते हैं खूं ये मासूम दिल का, चुभते हैं नश्तर इनके बदन से।।
हम क्यों लगाये इनको लबों से, क्या नाम हमको मिलेगा।
हम क्यों लगाये यह दिल———————।।
होंगे दीवानें और भी तेरे, होगा उनको इंतजार तुम्हारा।
धोखा दिया है उनको तुमने, बेवफा है यह प्यार तुम्हारा।।
हम क्यों करें एतबार तुम पर, क्या साथ हमको मिलेगा।
हम क्यों लगाये यह दिल———————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)