हम किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले
हम किसी भी फैसले तक नही पहुँचे ।
क्योंकि तुम भी तब्सिरे तक नही पहुचे ।
हम किसे के हिज्र में खुदकुशी कर ले ।
हम अभी उस हौसले तक नही पहुँचे ।
जाने कितने दुख देखे हमने फिर भी देख ।
हम कभी तेरे पते तक नही पहुँचे ।
छोड़ कर वो नक्श अपने चला आया ।
लोग फिर भी रास्ते तक नही पहुँचे ।
फिर तड़प के मर गयी खामुशी ‘मित्रा’ ।
हम मगर उस हादसे तक नही पहुँचे ।