हम कहां आजाद हुए हैं?
पहले गोरों ने सताया ,
अब काले भूत बनके खड़े है ।
आजाद कहां है हम ,
अब भी बंदिशों में बंधे है ।
घर के बाहर घूमता खौफनाक साया,
इसीलिए घर में कैद रहते हैं।
दिल में दहशत और जुबान पर पाबंदी ,
सोचो जरा!! एक बार ,
हम कहां आजाद हुए है!