हम ,और वे( जलहरण घनाक्षरी)- गुरू सक्सेना
हम ,और वे
जलहरण घनाक्षरी
समझाते समझाते,उमर निकल गई,
समझ में नहीं आता,कैसे समझायें हम।
देश में अनेकता अनेकता में एकता है,
सदा सदभाव एकता के गीत गायें हम।
हमारी तरफ से तो हमेशा उदार भाव,
जब कहो जहाँ कहो चादर चढ़ाएँ हम।
अलगाववादी विष, वे उगलते हैं सदा,
कब तक भाई मान,गले से लगायें हम।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश