हम ऐसे भी बुरे नहीं
हम ऐसे भी बुरे नहीं, जितना लोगों ने तुमको बताया है,
शायद गलत लोगों ने ही तुम्हें गलत समझाया है।
उनकी निगाहों से हम गिर चुके हैं, जिन्होंने तुमको बहकाया है।
खफा हमसे हैं वो जैसे हमने उन्हें सताया है।
हमने तो नहीं कहा उनको कुछ भी, फिर क्यों उन्होंने तुमको उकसाया है।
सूरज की रोशनी पर न उंगली उठाओ ए जगवालों,
ये तो उजाले का साया है।
अब क्या करूं मैं, कैसे समझाऊं, कोशिश बहुत की मैंने, मगर आपकी ही समझ में कुछ नहीं आया है।