हमेशा जागते रहना
गीतिका
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हमें हर हाल में मन में जमा सब मैल है धोना।
हमेशा जागते रहना नहीं बेवक्त है सोना।
बहुत ही मन लुभावन है बदलता जा रहा मौसम।
खिले हैं फूल खुशबू से भरा है आज हर कोना।
जरा धीरे करो बातें दिवारें सब सुना करती।
हमेशा जागते रहना कभी न बेखबर होना।
चुकानी है बहुत कीमत मुहब्बत प्राप्त करने में।
कदम हर सोच कर रखना पड़ेगा चैन भी खोना।
शरारत से भरा बचपन भुलाया जा नहीं सकता।
पुरानी याद का हर पल हमें है आज संजोना।
जमाने में बढ़ें आगे भ्रमित होना नहीं हमको।
नहीं कुछ भी हुआ करता कभी जादू कभी टोना।
करें हर काम अपना मन लगाकर साथ में सबके।
रहें उन्मुक्त दुनिया में कहीं भी बोझ क्यों ढोना।
नहीं रखनी कहीं भी भावनाएं स्वार्थ साधन की।
तजें हर लोभ लालच तो कभी भी न पड़े रोना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य