हमें हर घड़ी मुस्कुराना पड़ेगा
ये माना कठिन है बहुत जिन्दगी ये
मगर जी के हमको दिखाना पड़ेगा
दबाकर के पीड़ा को औरों की खातिर
हमें हर घड़ी मुस्कुराना पड़ेगा
तड़पते हुए मन की संवेदना हैं
सभी उस परमशक्ति की चेतना हैं
वो हममें है और हम हैं उसके हृदय में
तभी तो सभी साज हैं सुर में,लय में
अगर आदमी उसका आभास कर ले
तो फिर उसको कुछ न बताना पड़ेगा
दबाकर के पीड़ा ………………।।
जो आ जाएँ जिद पर बदल दें ये किस्मत
पियें सारा सागर निगल लेंगे पर्वत
उठे गर कदम कोई सरहद न होगी
हमारे हदों की कोई हद न होगी
कदम चूम लेती है मंजिल यकीनन
मगर जोश दिल में जगाना पड़ेगा
दबाकर के पीड़ा ……………..।।
मिटाकर अँधेरा उजाला करेंगे
नयी पीढ़ियों में नया दम भरेंगे
डरा मत किसी को किसी से न डरना
जनम से ही जब तय है इक रोज मरना
अगर स्वाभिमानी है बनकर के जीना
कफन बाँध कर सिर कटाना पड़ेगा
दबाकर के पीड़ा……………….।।
जगत में लकीरों के मारे बहुत हैं
करें क्या प्रबल ये सितारे बहुत हैं
निशाना अगर लक्ष्य पर साधना है
तो प्रतिदिन सुबह करनी बस प्रार्थना है
हो कितने भी सक्षम मगर उसके आगे
तुम्हें शीश अपना झुकाना पड़ेगा
दबाकर के पीड़ा……………….।।