Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Dec 2021 · 2 min read

हमारे फ़िल्म और हमारा समाज

फ़िल्म मानव भावनाओं पर आधारित चलचित्र होते हैं, जो समाज या मानव को प्रेरणा देने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं। जब हमारे समाज में फिल्मों का पदार्पण हुआ तो समाज उनके आदर्शों से अभिभूत होता रहा और नए नए चलचितों के माध्यम से नई नई मनोरंजक व प्रेरणाप्रद जानकारियां हासिल करता रहा। मन की उद्विग्नता को शांत करने वाले चलचित्रों को देखकर शकून होता था। मन अवसाद से दूर होता था।फिल्मों में जो उपलब्धियां चाहिए वो सब होती थीं। पुराने फिल्मों में प्राकृतिक छटा, कर्णप्रिय ध्वनि, आदर्शता को प्रदर्शित करने वाले भाव व नायक नायिका भी आदर्श होते थे।
वर्तमान समय में आधुनिकता की होड़ में फिल्मों ने अपना रूप बदल लिया है। रोशनी की चकाचौंध व चमकने वाली 3D फिल्में आंखों को चुभने लगी हैं। नायक व नायिका की अश्लील प्रस्तुति समाज को अश्लीलता के कगार पर ला खड़ा किया हैं। समाज को नई दिशा देने वाली पीढ़ी भी भ्रमित हो गयी है। अश्लील गाने व अंग प्रदर्शन हमारी सभ्यता को पश्चिमी सभ्यता में डूबा रहे हैं।
वर्तमान फिल्में आसानी से अपना उद्देश्य बताने में असफल हो रही हैं। फिल्मों में प्रदर्शित प्यार के नए रंग व धोखाधड़ी की प्रस्तुति से एक ओर जहाँ सावधान होने की प्रेरणा मिल रही है वहीं अपेक्षाकृत दूसरी ओर हमारा समाज बुराइयों को अधिक ग्रहण करते हुए नजर आ रहा है। नई नई तकनीकों का प्रयोग फिल्मों में सराहनीय कार्य है जो हमें वैज्ञानिक प्रगति के लिए प्रेरित करता है, परंतु यह तकनीकी समाज को दूषित करने में भी सक्षम सिद्ध हो रही है। अर्धनग्न नृत्य व रास से हमारे राष्ट्र निर्माता बच्चे नैतिकता को भूल रहे हैं। उनमें असमय ही कामुकता देखने को मिलने लगी है।
हमारा समाज ग्राम प्रधान है। गांवों में छोटे आवासों में सपरिवार बैठकर फिल्में देखीं जा रही हैं। उन फिल्मों में परोसी गयी विसंगतियाँ परिवार के सदस्यों में आपसी मर्यादा हनन व सामाजिक नैतिकता को ठेस पहुँचा रही है। फिल्मों में प्रयुक्त चतुरताओं को देखकर आज समाज प्यार में छल, धोखाधड़ी, पति पत्नी लगाव में कमी, देशहित की भावना से छल आदि अनेकों बुराइयां सीख चुका है। विश्व गुरु भारत जैसे आदर्श देश में इस तरह की विषंगति का होना बेहद चिंताग्रस्त/विचारणीय/सोचनीय है। फिल्मों का प्रयोग स्वस्थ मनोरंजन व संस्कारयुक्त ज्ञानवर्धन के होना चाहिए, जिससे समाज का निर्माण हो सकें न कि आदर्शता का पतन ।

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 4 Comments · 211 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
इससे पहले कि ये जुलाई जाए
Anil Mishra Prahari
माँ सच्ची संवेदना...
माँ सच्ची संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
आओ बैठो पियो पानी🌿🇮🇳🌷
आओ बैठो पियो पानी🌿🇮🇳🌷
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
संसार में सही रहन सहन कर्म भोग त्याग रख
पूर्वार्थ
खामोश किताबें
खामोश किताबें
Madhu Shah
नारी शक्ति.....एक सच
नारी शक्ति.....एक सच
Neeraj Agarwal
"जुबांँ की बातें "
Yogendra Chaturwedi
जी-२० शिखर सम्मेलन
जी-२० शिखर सम्मेलन
surenderpal vaidya
..
..
*प्रणय प्रभात*
2678.*पूर्णिका*
2678.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
DrLakshman Jha Parimal
रे मन
रे मन
Dr. Meenakshi Sharma
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
वो मेरे हर सब्र का इम्तेहान लेती है,
वो मेरे हर सब्र का इम्तेहान लेती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
आवारा पंछी / लवकुश यादव
आवारा पंछी / लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
लेखक कौन ?
लेखक कौन ?
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
पितृ स्वरूपा,हे विधाता..!
मनोज कर्ण
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
गीतिका ******* आधार छंद - मंगलमाया
Alka Gupta
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
gurudeenverma198
*नशा सरकार का मेरे, तुम्हें आए तो बतलाना (मुक्तक)*
*नशा सरकार का मेरे, तुम्हें आए तो बतलाना (मुक्तक)*
Ravi Prakash
सविता की बहती किरणें...
सविता की बहती किरणें...
Santosh Soni
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
24-खुद के लहू से सींच के पैदा करूँ अनाज
Ajay Kumar Vimal
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
Sonu sugandh
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
लोग मुझे अक्सर अजीज समझ लेते हैं
सिद्धार्थ गोरखपुरी
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
***** सिंदूरी - किरदार ****
***** सिंदूरी - किरदार ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"दामन"
Dr. Kishan tandon kranti
मैंने फत्ते से कहा
मैंने फत्ते से कहा
Satish Srijan
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
Loading...