Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Sep 2021 · 1 min read

” हमारे लोग …हमारी जमीन “

डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
===============
हम बड़ी -बड़ी बातें करते हैं ,
अपने विचारों ,
लेखों को ,
लिखकर ,
किताबों की शक्ल में उसे ढाल देते हैं !
दुनियां में कोई बड़ा नहीं
कोई छोटा नहीं ,
रंग -भेद को ,
एक जघन्य अपराध बताते हैं !!
गाँवों की तश्वीर ,
वहां की संस्कृति ,
सभ्यता ,
लोक -गीत ,
सादगी के गुणगान से मन अघाता नहीं है !
यह बातें सारी लेखनी में ,
सिमट कर रह जाती है !
बात जब व्यवहार की हो ,
तब हमारी पोल खुल जाती है !!
धरातल की बातें ,
कुछ और है ,
अपने लोगों से कतराते हैं !
उनकी वेश -भूषा ,
रहन -सहन ,
खान -पान, बातचीत से मुहँ मोड़ लेते हैं !!
डर लगने लगता है
हमारा अतीत ..
तो सामने नहीं आ जायेगा ……?
और कहीं हमारे ,
‘नाटकीय जीवन ‘ को
तहस -नहस तो नहीं कर जायेगा…….. ??
इसी क्रम में ,
हम अपनों से दूर चले जाते हैं !
समाज और अपने लोगों से ,
मिलने से कतराते हैं !!
हमें इन गलतिओं,
का एहसास,
तब होता है !
जब हम सब लोंगों से ,
अलग -थलग पड़ जाते हैं ,
अपने को ‘वीरान मरुस्थल में
स्वाति बूंदों’ के लिए तरसते हैं !!

==============================
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत

Language: Hindi
1 Like · 176 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
अध्यापक :-बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्ण
Rituraj shivem verma
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
*जब कभी दिल की ज़मीं पे*
Poonam Matia
प्रायश्चित
प्रायश्चित
Shyam Sundar Subramanian
वक़्त की मुट्ठी से
वक़्त की मुट्ठी से
Dr fauzia Naseem shad
जब जब मांगेगी धरती
जब जब मांगेगी धरती
©️ दामिनी नारायण सिंह
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
আমায় নূপুর করে পরাও কন্যা দুই চরণে তোমার
Arghyadeep Chakraborty
संतान को संस्कार देना,
संतान को संस्कार देना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
3638.💐 *पूर्णिका* 💐
3638.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Reliable Movers and Packers in Hyderabad
Shiftme
रातें सारी तकते बीतीं
रातें सारी तकते बीतीं
Suryakant Dwivedi
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
मज़दूर दिवस
मज़दूर दिवस
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
ग़ज़ल _ आइना न समझेगा , जिन्दगी की उलझन को !
Neelofar Khan
* बेटियां *
* बेटियां *
surenderpal vaidya
जिन्दगी में फैंसले और फ़ासले सोच समझ कर कीजिएगा !!
जिन्दगी में फैंसले और फ़ासले सोच समझ कर कीजिएगा !!
Lokesh Sharma
🙅बस एक सवाल🙅
🙅बस एक सवाल🙅
*प्रणय प्रभात*
जिंदगी में कुछ कदम ऐसे होते हैं जिन्हे उठाते हुए हमें तकलीफ
जिंदगी में कुछ कदम ऐसे होते हैं जिन्हे उठाते हुए हमें तकलीफ
jogendar Singh
"सड़क"
Dr. Kishan tandon kranti
खिलते फूल
खिलते फूल
Punam Pande
दिल  किसी का  दुखाना नही चाहिए
दिल किसी का दुखाना नही चाहिए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आवश्यक मतदान है
आवश्यक मतदान है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
नज़ाकत को शराफ़त से हरा दो तो तुम्हें जानें
नज़ाकत को शराफ़त से हरा दो तो तुम्हें जानें
आर.एस. 'प्रीतम'
दुनिया  की बातों में न उलझा  कीजिए,
दुनिया की बातों में न उलझा कीजिए,
करन ''केसरा''
सेज सजायी मीत की,
सेज सजायी मीत की,
sushil sarna
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
अगर पुरुष नारी में अपनी प्रेमिका न ढूंढे और उसके शरीर की चाह
Ranjeet kumar patre
18, गरीब कौन
18, गरीब कौन
Dr .Shweta sood 'Madhu'
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
ख़ामोशी है चेहरे पर लेकिन
पूर्वार्थ
"डोली बेटी की"
Ekta chitrangini
Loading...