हमारी सोच
शीर्षक – हमारी सोच
हमारी सोच सभी मानवतावादी सोच अलग-अलग होती है और हमारी सोच हमारे वातावरण और हमारे रहन-सहन के साथ बनती है हमारे विचार ही हमारी सोच को जन्म देते हैं। हमारी सोच में सभी मानवता वादी जीवन सांसारिक सुख समृद्धि और सफलता के साथ साथ ही होती हैं।
सच और मन की जीवन में हमारी सोच ही रंगमंच पर हम सभी जानते हैं। फिर भी हम जीवन में एक दूसरे के साथ विचार हम अपनी बातें साझा करते हैं जिससे हमारे जीवन में एक समाज और सामाजिकता का संसार बनता है और यही संसार हमारी सोच के साथ-साथ हमें जीवन में आगे बढ़ने की सोच देता हैं।
आज आधुनिक युग में संगीता एक आधुनिक विचारों वाली आधुनिक नारी है जिसे बचपन में कोई अनाथालय में पालने में छोड़ गया था अनीता इस अनाथालय में पढ़ लिखकर बड़ी हुई थी। हमारी सोच के साथ-साथ संगीता की सोच भी समाज के साथ अलग थी क्योंकि उसकी विचार में जब वह समझदार हो चुकी थी तो मैं जान चुकी थी एक नारी का अनाथालय में रहना और उसका पालन पोषण होना वह उसकी सोच के साथ-साथ एक समझ बन चुका था संगीता समझ चुकी थी आज वह अनाथालय में जो जीवन व्यतीत कर रही है वह भी किसी समय उसके जन्म के साथ-साथ उसके जन्म देने वाली नारी की हमारी सोच होती है। आज आधुनिक युग में संगीता अपने को अनाथालय में पलकर पढ़ लिखकर बड़ी हुई। और जब समाज में जाती है तब वही समाज उसको अनाथ की संज्ञा देता है हमारी सोच के साथ-साथ हम उन अनाथ बच्चों को कैसे कह दे हैं की वह अनाथ है। हम सभी सामाजिक प्राणी हैं और हमारी सोच भी कह सकती है की अनाथालय में जो अनाथ बच्चे हैं वह भी तो किसी न किसी तरह से जन्म लेते हैं और जिन्होंने जन्म लिया उनके माता-पिता या जन्म देने वाले का नाम जरूर होता होगा बस फर्क इतना है कि हमारी सोच कि हम जब-अपने जन्म देने वाले या परिवार को नहीं पाते हैं। अनाथ की संज्ञा देते है।
हमारी सोच तो हमारे जीवन और सामाजिक स्तर को बनाती है। बस हमारी सोच ही जीवन के साथ हम सभी को एक दूसरे का सहयोग या असहयोग देती हैं। आज हम सभी के जीवन का महत्वपूर्ण भाग हिस्सा हमारी सोच ही होती है हमारी सोच को हम कितना भी लिख सकते हैं। बस हमारी सोच ही जीवन के साथ होती हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र