हमारी भूले
तुम कर्म करोगे जैसा, फल पाओगे वैसा l
तूने बोये जो कांटे, पडेंगे तन पै तेरे सांटे ll
जो बोये तू फूल तेरी माफी होगी कबूल l
जो करे गलती पे गलती, उसे दुआ नही फलती ll
जो निरादर देगा बड़ो को, रब काटे उसकी जड़ो को l
रीति रिवाजे कुल की, सुख शांति दे हर पल की ll
जो रखे भावना कपटी, यमदतू बनेगें झपटी l
वो अपना जन्म बिगाड़े, फिर नरक गति को पावे ll
छोटी छोटी सी भूले, हिलाती परिवार की चूले l
जिस परिवार में ब्याहे नारी, ढलजा मर्यादा में सारी ll
परिवार का एक-एक रोड़ा, बनाये सघंटन का घरौंदा l
क्षमा मे वो शक्ति है, मानो ईश्वर की भक्ति है ll
सब जुड़े रहे तन मन से, “संतोषी” घर हो वो सखु से ll