हमारी बिशेषता
हम तो रोते हुए को देखते है तो रोने लगते है।और हंसते हुए को देखते है तो हंसने लगते है। यही हमारी बिशेषता है।।जिनदे से सब डरते है।लाश के पीछे हजारों चलते है।यही हमारी बिशेषता है।चार वेद और अठारह पुराणों के रचियता फिर भी गयान शूनय ।भूखो को नहीं धनकुबेरों करते दान।यही महान भारत की पहचान।।यही हमारी बिशेषता है।।हजारों पर एक बदमाश भारी है।यह हमारी कितनी बड़ी लाचारी है।यही हमारी बिशेषता है। भृष्टाचार की नदी मे सभी बहते चलते है।डीग मारते मन बढाई का .अपने को सिद्ध करते है।यही हमारी बिशेषता है।