” हमारी प्यारी विविधता “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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विविधता
से रूप
निखरता है
नित नये
अंदाज मेँ
जीवन
सँवरता है !!
ग्रीष्म के
ताप से
खलवली
मच जाती है
फिर वर्षा
की बूंदों से
तपिश मिट
जाती है !!
रात के साये
में हम
स्वप्नों में
खो जाते हैं
सूरज की
किरणों के
स्प्रंदन से
सबके सब
जग जाते हैं !!
कविताओं
में भी रसों का
समिश्रण
होता है
एक रस
में ही सुनने से
सबको बुरा
लगता है !!
कभी शृंगार
की बारी
तो कभी
हास्य रस
का रूप
होता है
कभी रौद्र
वीभत्स
अद्भुत
करुण से
रूप बनता है !!
विविध रंगों
और रूपों
से अपनी
दुनियाँ
सजी है
विविधता
में हमारी
वर्षों से
एकता
छिपी है !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत