Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2023 · 3 min read

“ हमारा फेसबूक और हमरा टाइमलाइन ”

डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “
=========================
हमें यह कहाँ ज्ञात था कि नये परिवर्तन के युग आएंगे ! नये यंत्रों का आविष्कार होगा ! चिठ्ठी के दौर से निकल पाएंगे ! जब तक दूर दराज़ रहते थे , पत्नी की प्रसव पीड़ा की चिठ्ठी मिलती थी तो छूटी लेने की प्रक्रिया और घर पहुँचते -पहुँचते बच्चे का जन्म और इकैसा तक हो जाते थे ! वसंत ऋतु के प्रेम पत्र कभी- कभी शरद ऋतु में पहुँच पाते थे ! टेलीफोन तो आम लोगों के पहुँच से बाहर था ! एक टेलीग्राम की ही प्रक्रिया थी जो द्रुत गति से पहुँचती थी पर उसके अपुष्ट संदेश और उसकी गलतियाँ लोगों को भ्रमित करती रहती थीं ! फिर लेंड लाइन टेलीफोन का युग आया ! जगह -जगह std booth बने ! मोबाईल फोन का युग आया ! और फिर एक नयी क्रांति का जन्म हुआ और कंप्युटर युग आया !
अब सारा परिदृश्य बदल गया ! सूचना प्रसारण के क्षेत्रों में हमने परचम फहरा दिया ! पलक झपकते सम्पूर्ण ब्रह्मांड से जुड़ गए ! सारी गतिविधियां कंप्युटर के इशारों पर चलने लगीं ! अभूतपूर्व परिवर्तन का समावेश होने लगा ! भारत के किसी छोटे से छोटे गाँव से विश्व के किसी कोनों से हम साक्षात जुड़ सकते हैं ! घर बैठे पलक झपकते अपने सगे संबंधी से बातें और संदेश द्रुत गति से कर सकते हैं ! नयी पीढ़ी के लोगों ने तो इसे अपना कवच कुंडल बना लिया ! आज के वे अर्जुन बन गए ! सारी विधाओं के वे स्वामी बन गए ! यहाँ ये गुरु द्रोणाचार्य बन गए और हम बुजुर्गों को शिष्य बनना पड़ा ! शिक्षा के क्षेत्र में सीखना और सीखाना उम्र की परिसीमाओं से परे होता है ! बच्चे भी बुजुर्ग के गुरु हो सकते हैं !
प्रारंभ में इसकी उपयोगिता का आभास न था और इन जटिल प्रक्रियाओं में हम उलझना भी नहीं चाहते थे ! पुरानी और प्राचीन विधाओं को ही अपने सिने से लगा लिया था ! डायरी लिखना ,समाचार रेडियो से सुनना और टीवी में समाचार और सिनेमा देखते थे ! 2013 तक दोस्तों और सगे संबंधियों को खूब चिठ्ठी लिखा करते थे ! छोटी मोबाईल नोकिया की, हमारे पास हुआ करती थी ! bsnl का लेंड लाइन से लोगों से बातें हुआ करती थी ! भाषण देने की कला को भी हमने सुबह व्यायाम के समय सीखा ! कभी अपने सुने कमरे में शीशे (आईना ) के सामने खड़े होकर भाषण देकर सीखता रहा ! कविता और साहित्य का साथ हमरा बचपन से ही था ! खेलना ,संगीत और गायन का भी शौक रहा !
सूचना और प्रसारण के रणक्षेत्र में उतरने की इच्छा हमें भी होने लगी ! बच्चों के सहयोग और निर्देशों को पाकर हम भी इसकी कौशलता से भिज्ञ होने लगे ! 2013 में बड़े डेस्कटॉप पर अभ्यास करने लगे ! बाद में बच्चों ने लैपटॉप के गूढ रहस्य को बताया ! आधुनिक मोबाईल का भी प्रशिक्षण उनलोगों ने दिया ! अधिकांश हमारे काम मोबाईल और लैपटॉप में होने लगे ! आज इसकी उपयोगिता का एहसास हो रहा है परंतु हमने पुरानी विधाओं को तिलांजलि नहीं दी है ! लिखते हम आज भी हैं ! कागज़ और कॉपी के पन्नों को हम अपनी स्याही वाली कलम से नित्य दिन लिखते हैं ! रेडियो के स्थान को मोबाईल और लैपटॉप ने ले लिया !
फेसबूक हमारा अभूतपूर्व रंगमंच है ! फेसबूक एक अद्भुत गंगा माना गया है जिसकी धारा अविरल तुंग शिखर से निकल कर आवध गति से बढ़ती हर अवरोधक कंटकाकीर्ण मार्ग को चीरती अपने लक्ष्य की ओर चलती रहती है ! छोटी बड़ी जल की धारायें और सहायक नदियाँ इनमें समाहित होती हैं ! फेसबूक के क्षितिजों में भी अनेक तारे छिपे हैं जिनकी प्रतिभाओं की रोशनी से सारा ब्रह्मांड जगमगाने लगता है ! कोई महान लेखक तो कोई अद्भुत कवि ,जिनकी लेखनियों से “सत्यम ,शिवम और सुंदरम “का आभास मिलता है ! हम अपनी छिपी प्रतिभा को उभारने का प्रयास करते हैं !
कभी -कभी अपनी कविताओं को विभिन्य भाषाओं में लिखते हैं ! लोगों को अपनी लेखनी से अवगत करते हैं ! लोगों को अपना संदेश देते हैं ! लोगों का मनोरंजन गा के और बजाके करते हैं ! इस रंगभूमि में अभिनय भी करते हैं ! पर ये सारी कलाबाजियाँ अपने ही रंग मंच तक सीमित है ! दर्शक कोई भी बन सकता है ! किसी और के रंगमंच का हम कभी भी अतिक्रमण नहीं करते हैं और ना किन्हीं को वाध्य करते हैं कि हमारे अभिनय को एकाग्र होकर देखें ,सराहे और सकारात्मक टिप्पणियाँ करें ! यह हमें ज्ञात है कि सबके अपने- अपने पसंद हैं ! हम तो अपने परिसीमा के दायरों में ही रहते हैं और हमें जो आता है अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए अपना अभ्यास करते हैं ! हम दूसरे का भी सम्मान करते हैं !!
=======================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
26.01.2023

Language: Hindi
1 Like · 186 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"" *वाङमयं तप उच्यते* '"
सुनीलानंद महंत
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
*श्री सुंदरलाल जी ( लघु महाकाव्य)*
Ravi Prakash
जल बचाओ, ना बहाओ।
जल बचाओ, ना बहाओ।
Buddha Prakash
फूल या कांटे
फूल या कांटे
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बिन चाहे गले का हार क्यों बनना
बिन चाहे गले का हार क्यों बनना
Keshav kishor Kumar
शुभ प्रभात संदेश
शुभ प्रभात संदेश
Kumud Srivastava
कितना तन्हा, खुद को वो पाए ।
कितना तन्हा, खुद को वो पाए ।
Dr fauzia Naseem shad
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
अवसाद
अवसाद
Dr. Rajeev Jain
तमाम उम्र काट दी है।
तमाम उम्र काट दी है।
Taj Mohammad
माॅ
माॅ
Santosh Shrivastava
शीर्षक:
शीर्षक:"बहन मैं उसे
Harminder Kaur
अजनबी
अजनबी
लक्ष्मी सिंह
" कैसे "
Dr. Kishan tandon kranti
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
🌻 गुरु चरणों की धूल🌻
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
ओ त्याग मुर्ति माँ होती है
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
तुम वह दिल नहीं हो, जिससे हम प्यार करें
gurudeenverma198
बचपन की यादें
बचपन की यादें
Anamika Tiwari 'annpurna '
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
Phool gufran
मोबाइल फोन
मोबाइल फोन
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
जय हिन्दू जय हिंदुस्तान,
जय हिन्दू जय हिंदुस्तान,
कृष्णकांत गुर्जर
I want to tell them, they exist!!
I want to tell them, they exist!!
Rachana
रमेशराज का हाइकु-शतक
रमेशराज का हाइकु-शतक
कवि रमेशराज
खिलते हरसिंगार
खिलते हरसिंगार
surenderpal vaidya
ये बेकरारी, बेखुदी
ये बेकरारी, बेखुदी
हिमांशु Kulshrestha
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
आफ़ताब
आफ़ताब
Atul "Krishn"
इन आँखों को हो गई,
इन आँखों को हो गई,
sushil sarna
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
गज़ल बन कर किसी के दिल में उतर जाता हूं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...