” मुक्तक “
” हमारा पर्यावरण ” ©
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तारीफ़ पेड़-पौधों-लताओं की
करें चाहे जितनी, हैं उतनी कम |
जीवन सम्बंधित, ये सब कुछ देते
निस्वार्थ सर्वजीव, हैं इनका प्रेम ||
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अस्तित्व हैं हम सबका, इस शरीर से
अगर ये ना रहा तो, अपना अंत साफ हैं |
करें हम योग,साफ हवा और हरियाली में
तो हर बीमारियां, हमको माफ़ हैं ||
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अगर चाहते हो, दिल से तुम अपनों को
और पूर्वज दें हमें हमेशा ,अपने दर्श |
तो पेड़ लगाओ, उनकी याद में ऐसा
जो रहे हरा-भरा, लाखों-हज़ारों वर्ष ||
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हरियाली से रहती हैं, हमेशा हवा साफ
साफ हवा से ही चली हैं, लम्बी अपनी सांस |
सांस से ही तो बँधी हैं, सबके जीने की आस
और इसी आस से तो हैं, हमें जीवन का अहसास ||
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स्वरचित एवं
मौलिक रचना
लेखिका :-
©✍️सुजाता कुमारी सैनी “मिटाँवा”
लेकन की तिथि :- 20 जून 2021