हमारा देश —- हाइकु
****हमारा देश ****
हमारा देश।
हे नाना परिवेश।
नहीं विद्वेष।।—१
अनेकता भी।
एकता ही सिखाती।
हे समावेश।।—— २
बहती गंगा।
हिमालय पथ से।
हरती क्लेश।।—— ३
चरण धोता ।
सागर है जिसके।
धरा विशेष।।—-४
सेवा भाव है।
मन में सबके ही।
न कोई द्वेष।।५
नमन करुं।
बारंबार जनमुं।
चाहत शेष।।—–६
राजेश व्यास अनुनय