हमारा गुनाह सिर्फ यही है
हमारा गुनाह सिर्फ यही है।
यह जो शराब हम पीते हैं।।
इसीलिए तुमने यह दी है सजा।
इसीलिए नफ़रत तुम करते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ————-।।
कभी प्यार हमसे, करोगे तुम।
अक्सर ऐसा सोचते थे, हम।।
कभी तुमने हमको नहीं माना अपना।
गम की दवा हम जो , इसे कहते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ——————।।
हमपे नहीं तुमको, आया रहम।
करते रहे तुम, हम पर सितम।।
मगर जिंदगी से, हमको है प्यार बहुत।
अपना सहारा हम जो, इसे कहते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ——————।।
जो पीते नहीं क्या, पापी वह नहीं है।
नहीं बोलते झूठ क्या, बुरे वह नहीं है।।
क्यों कैसे हमको वह, गले नहीं लगाते हैं।
पीकर इसको हम यह, सच जो कहते हैं।।
हमारा गुनाह सिर्फ ——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)