” हमहूँ अकर्मण्यता सीख गेलहुं “
( व्यंग )
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
======================
कखनो -कखनो हमहूँ सोचैत छी जे अप्पन अकर्मण्यताक प्रदर्शन करि…!
सब दिनक वैह काज ? भोरे उठू… बी बी सी सुनू, ..व्यायाम करू ,..क्लिनिक जाऊ ..इन्टरनेट सं कुश्ती करू, ..पुनः बी बी सी संध्या काल सुनू!…
फेर लागि जाऊ देश -विदेशक समाचारक आलोचना आ समीक्षा मे !
आब हमहूँ शतरंजक चालि सीख गेल छी !….
बैसल ..बैसल ..सिपाही ,हाथी, घोडा .ऊंट ,मंत्री आ राजा कें डोलबैत रहब ..
पानक गिलोरी गा्ल तर रखने रहब!
फेसबुकक त गप्प आब जुड़ -शीतलक बसिया भात भ’ गेल !
एक्के बेर मे लाखों मित्र बना लेलहुं ! ..तकैत रहथ हमर प्रोफाइल कें…कतो नहि भेटबनि !
साल भरि त दर्शन देबनि नहि ….आ जे प्रकट भेलहुँ त बुझि लिय हमर “जन्म दिन” थीक !..
अपना दूनू प्राणीक फोटो स्कैनिंग बला प्रोफाइल मे साटि देबनि आ लिखि देबनि
” आइ हमर विवाहक २५ सम सालगिरह अछि ..आहां लोकनिक शुभकामनाक अपेक्षा !”
अकर्मण्यता बहत्तर हाथक अतडी बना देत! …किनको पता -ठेकान देबनि नहि!
रहब सासुर..त मातृकक पता हुनका देबनि !
कतो जे अनचौके धरा गेलहुं इंटरनेटक परिधि मे !..
त तपाक सं कहि देबनि……
“ हम किछु मोबाइल पर लिखिए नहि सकैत छी!”….
पुरनका लोक भेलहुँ !..नवतुरिया सजग छथि..सचेष्ट छथि ..हुनका लेखें दही -चुडा -चीनी !
हम व्यंजन केना रानभ ? …आ ..केना परोसब ?…सब पाठ मे निपूर्ण त पहिने भ गेल छलहूँ अकर्मण्यता क पाठ छुटल छल !…आहां लोकनि अपना कें परीक्षक बुझि हमरा यथोचित अंक दय कृतार्थ करू !
==============================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड