Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Jun 2023 · 1 min read

हमसे पूछ रही गौरैया

हमसे पूछ रही गौरैया

किस घर के
आँगन में आकर
अपने मन की व्यथा सुनाऊँ
हमसे पूछ रही गौरैया!

दिखते नहीं
किसी भी घर में
लगे हुए एक भी पेड़
जहाँ बनाऊँ
घोंसला अपना
नहीं दिखे कोई ऐसा ठौर

छूट गया
अब आना -जाना
कैसे मिलने आऊँ सबसे
हमसे पूछ रही गौरैया!

पहला समय
कितना मनमोहक
दिखती थी चतुर्दिक हरियाली
निर्भय होकर
उड़ते-फिरते थे
बसेरा करती थी खुशहाली

अब तो
डर बैठा मन में
कैसे इसको दूर करूँ
हमसे पूछ रही गौरैया!

मानव ने
अपने लालच में
नदी/नाले/ताल सूखा डाले
अपने घर
तो भरपूर बनाए
जंगल के जंगल मिटा डाले

कहाँ पिएँ
पानी जी भर कर
कहाँ बनाएँ नीड़ अपना
हमसे पूछ रही गौरैया!

#डॉभारतीवर्माबौड़ाई

219 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr. Bharati Varma Bourai
View all

You may also like these posts

में स्वयं
में स्वयं
PRATIK JANGID
4459.*पूर्णिका*
4459.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कुछ करा जाये
कुछ करा जाये
Dr. Rajeev Jain
स्वयं सुधरें तो जग सुधरेगा
स्वयं सुधरें तो जग सुधरेगा
भगवती पारीक 'मनु'
एक दोस्त ने कहा था
एक दोस्त ने कहा था
Mahesh Tiwari 'Ayan'
राम चले वनवास
राम चले वनवास
कार्तिक नितिन शर्मा
କେମିତି ଜୀବନ
କେମିତି ଜୀବନ
Otteri Selvakumar
सच्चाई
सच्चाई
Seema Verma
हम सीवान के लड़के हैं
हम सीवान के लड़के हैं
Nitu Sah
"जाम"
Dr. Kishan tandon kranti
संवेदनशील हुए बिना
संवेदनशील हुए बिना
Shweta Soni
जानते    हैं   कि    टूट     जाएगा ,
जानते हैं कि टूट जाएगा ,
Dr fauzia Naseem shad
*जिसको गुरु सच्चा मिला वही, जीवन अमूल्य कहलाता है (राधेश्याम
*जिसको गुरु सच्चा मिला वही, जीवन अमूल्य कहलाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
*कैसे कैसे बोझ*
*कैसे कैसे बोझ*
ABHA PANDEY
👌कही/अनकही👌
👌कही/अनकही👌
*प्रणय*
संदेशा
संदेशा
Usha Gupta
चंद सवालात हैं खुद से दिन-रात करता हूँ
चंद सवालात हैं खुद से दिन-रात करता हूँ
VINOD CHAUHAN
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
कलियों सा तुम्हारा यौवन खिला है।
Rj Anand Prajapati
मुस्कुराहट
मुस्कुराहट
Kunal Kanth
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
काफ़ी कुछ लिखकर मिटा दिया गया ;
ओसमणी साहू 'ओश'
दर्द
दर्द
Ashwini sharma
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
पूर्वार्थ
बुढ़ापा आ गइल बाकिर...
बुढ़ापा आ गइल बाकिर...
आकाश महेशपुरी
अधूरेपन का मसला
अधूरेपन का मसला
NAVNEET SINGH
गजब हुआ जो बाम पर,
गजब हुआ जो बाम पर,
sushil sarna
प्रकट भये दीन दयाला
प्रकट भये दीन दयाला
Bodhisatva kastooriya
सजि गेल अयोध्या धाम
सजि गेल अयोध्या धाम
मनोज कर्ण
नया से भी नया
नया से भी नया
Ramswaroop Dinkar
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
Loading...