हमारी वफा
हमसे नजरे चुरा कर कब तक छिप पाओगे,
कभी न कभी तुम आईने के सामने आओगे,
हो सकता है कि तुम्हें न दिखे बेरुखी तुम्हारी,
हमारी वफाओं को तुम कभी न भूल पाओगे।
✍️ लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हमसे नजरे चुरा कर कब तक छिप पाओगे,
कभी न कभी तुम आईने के सामने आओगे,
हो सकता है कि तुम्हें न दिखे बेरुखी तुम्हारी,
हमारी वफाओं को तुम कभी न भूल पाओगे।
✍️ लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा