हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए…
हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए…
कउन कथे अंगठा छाप हे,
कउन कथे के अढ़ही ए ।
अबड़ मयारू दुलौरिन बेटी,
हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए ।।
दक्षिण कोसल में उपजिस बाढ़ीस,
उत्ती म हरियाइस ।
महानदी बेसिन संग तरगे,
केदरी बन मुस्काइस ।।।
जकला आंय जउन कथंय के,
ये हर तो अनपढ़ी ए ।।।।
अबड़ मयारू दुलौरिन बेटी,
हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए ….
आनी-बानी बोली संग मिलके,
कतको सहनइन बनाइस ।
हिंदी के माथा म टीकली लगाके,
संगीत-साहित्य संभराइस ।।
सिया-राम-लखन के साखी,
हरचौरा-सीतामढ़ी ए ।।।
अबड़ मयारू दुलौरिन बेटी,
हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए ….
जब ले राज भासा के दरजा पाइस,
करत सरलग विकास हे ।
किसम-किसम के शोध होवत हे,
अब देथय तक दरखास हे ।।
सरकारी चिठ्ठी-पत्री के संग,
होवत लिखा-पढ़ी हे ।।।
अबड़ मयारू दुलौरिन बेटी,
हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए ….
हम रिनहा के धन -दोगानी,
हमर मनोरथ के कहिनी ए ।
गोंड़ी, हल्बी, सरगुजिहा,
बस्तरिहा, कुडुख सबो के बहिनी ए ।।
कइ ठन बोली के रंग-संग मिले हे,
इन्द्रधनुसी रंगचढ़ी ए ।।।।
अबड़ मयारू दुलौरिन बेटी,
हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ए ….