हमर मयारू गांव
हरियर हरियर ये अंचरा बड़ फबे हे,
अब्बड़ सुघ्घर हे हमर मयारू गांव l
मने मन मुस्काथे रूखराई घलो जी,
मनखे ला बुलाथे बर पीपर के छांव l
झिमिर-झिमिर रुमझुम बरसथे बादर,
सुरूर-सुरूर सनसन हवा गीत गाथे l
बिहानिया पहावत मयारू पहुना बनके,
कौवा अउ गौरैया घर अंगना बुले आथे l
हमर हसदेव नदिया के घाट घठौंदा ह,
संगी जहुरियां संग अपन पास बुलाथे l
नान-नान लईका मन फुरफुंदी उड़ाथे,
बर के झूला नानपन के सुरता दिलाथे l
इंहा जिनगानी नखरेली हे,रंगरेली हे,
लागे इंहा हर दिन फागुन के तिहार हे l
सिलयारी,काशी अउ पिंवरा गोंदा फूल,
हमर मयारू गांव के सुघ्घर सिंगार हे l
सूरुजमुखी लजाथे,इंहा दौना ममहाथे,
सुवा मया के मिठ मिठ गोठ गोठियाथे l
✍️ दुष्यंत कुमार पटेल