हमरे_भावे_व्यञ्जन_ओकर, दुधपुआ_हऽ_नाम..!!
#विधा – गीत (छंदमुक्त) (भोजपुरी
#हमरे_भावे_व्यञ्जन_ओकर, #दुधपुआ_हऽ_नाम..!!
________________________________________
हमरे भावे व्यञ्जन ओकर, दुधपुआ हऽ नाम।
अगर बताइब बनी ई कइसे, दिहब का इनाम।।
पहिले चाउर धोईं ओकरा, घाम में खूब सुखाई।
ले जाई चक्की पर ओकरा, मेहिए खूब पिसाईं।
घरे लियाईं पानी डारी, मैदा जेइसन फेटीं।
सुनीं तरिका ध्यान से भइया, खटिया प जनि लेटीं।
अधिका कुछो लागत नाहीं, ना ढेबुआ ना दाम।
अगर बताइब बनी ई कइसे, दिहब का इनाम।।
फेट फाट के सोड़ा डारी, अउर बना पाग।
दुध चढ़ाई चीनी डारीं, निकले जबहिं झाग।
दुध अवटि के पानी डारी, इलाइची के घोल।
अगर जे अब ले ना बुझल ऊ, मन लीं बा बकलोल।
पाग भइल तइयार धरीं अब, अनपुर्णा के नाम।
अगर बताइब बनी ई कइसे, दिहब का इनाम।।
लीहीं कढ़ाई माटी के दीं, चुल्हा पर चढ़ाई।
जब ले खूब गरम ना होखे, ओकरा खूब जराईं।
फेटल आटा लीहीं कटोरी, ओकरा में गीराईं।
तस्तरी से ढांकी भइया, ओकरा खूब पकाई।
जब ले ओह में छेद न होखे, पूर्ण भइल ना काम।
अगर बताइब बनी ई कइसे, दिहब का इनाम।
पुआ पकाईं पाग में डालीं, सोखे दीं भरपूर।
इहे तरीका दुधपुआ के, सीखनी रउरा लूर।
मन से खाईं छक्क के भइया, दीं हमके आशीष।
ऐतनो पर जे सीख ना पउलस, बरल बा ओकरा रीष।
देशी भोज सबसे बढ़िया, येतने बा पैगाम।
अगर बताइब बनी ई कइसे, दिहब का इनाम।।
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’