” हमरा किया हटेलहूँ अपन फ्रेंड लिस्ट सं ?”
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
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हमरा बुझागेल आहां मित्रताक सूची सं किया हमरा निकालि देलहुं ? इएह न हमर अपराध छल कि हम अपन अकाउंट खोलि फेसबुक मे अपन ध्वजा फहरा देलहुं आ चलि गेलहुं पाताल लोक क शयन कक्ष्य मे आ बनि गेलहुं कुम्भकरण ! सुतले -सुतले अपन विभिन्य भंगिमाक फोटो अपन टाइम लाइन मे पोस्ट करय लगलहूँ ! एहि क्रम मे फ्रेंड रिक्वेस्ट सेहो पठेलहूँ ! परंच अपन परिचय देनाइ विसरि गेलहुं ! हम के छी ?..कतय रहेत छी…की करैत छी ….इत्यादि.इत्यादि ! ऊँघायल त हम सब समय रहित छी ! एहि द्वारें अबाउट बाला कोलोमं पर हमर आंखिये झल्फला गेल ! किछु परिचय हम दS नहि सकलहूँ ! आब बुझा रहल अछि बजारक भाव ! नवका फ्रेंड लिस्टक रिक्वेस्टक बात त छोडिये दिय आब पुरनका मित्र सेहो खोइचा सोहि-सोहि कें निरीक्षण क रहल छथि आ हमरा ‘उन्फ़्रिएन्द ‘ क रहल छथि !
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
दुमका