हमने पलट कर जाना तुमको देखना छोड़ दिया
हमने पलट कर जाना तुमको देखना ही छोड़ दिया
जहाँ से आती थी सदा तुम्हारी उस रस्ते पे पग धडना छोड़ दिया
तबसे हम तो खुद के भी सगे न रह सके
तेरे शहर से जाते जाते खुद को वहीं पे छोड़ दिया
फूल से खिले थे हम, जिस दम तुमसे मिले थे हम
हीज्र के बाहों में हमने महकना भी तो छोड़ दिया
उदसियों ने आज कल दिल लगा रक्खा है
हमने झूठी हसीं से अपना रिश्ता तोड़ दिया
खुशवास लोग रोते भी बड़े सलीके से हैं जाना
हमको रोना भी न आया तो रोना भी छोड़ दिया
~ सिद्धार्थ