हमने नहीं बदली अपनी राह ___ शेर
वे हमारी सादगी पर जलते रहे।
हमारे सद्विचार उन्हें खलते रहे।
हमने नहीं बदली अपनी राह,
जो राह पकड़ी उसी पर चलते रहे।।
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विचार मिलते नहीं इंसान के इंसान से।
हर कोई तो अपनी ही चला रहा है शान से।।
देखा जबसे जमाने में हमने यह मंजर,
रहने लगे तब से हम कुछ कुछ परेशान से।।
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हमने यह कभी नहीं चाहा हर बात हमारी मानी जाए।
सबकी तो मानते आए हैं हम अपनी ही न तानी जाए।।
एक दूसरे के सम्मान में ही है जिंदगी जीने का मजा,
इसी से तो व्यक्ति की कीमत पहचानी जाए।।
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राजेश व्यास अनुनय