हमने तो अपने नगमों में
हमने तो अपने नगमो में दिल का सहज बयान लिखा
कभी लिखी बेबस की पीड़ा और कभी तूफ़ान लिखा
,
जात धरम मज़हब की बातें सब की सब बेमानी हैं
जब तक कहीं किसी भी घर में भूखा हिंदुस्तान लिखा
,
आँसू पानी काज़ल स्याही कागज दिल के वरक सभी
हर इंसान यही कहता है उफ़ कितना आसान लिखा
,
लड़ते रहे हवाओं से भी टूटी कश्ती के दम से
और समय ने भाग में हर शै एक नया तूफ़ान लिखा
,
जो जी चाहे कहे ज़माना खुद्दारी है नस नस में
हमने कब क्या गलत कह दिया गर खुद को नादान लिखा
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डॉक्टर //इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव