हमदम
तू ही आरजू है और तू ही जुस्तजू है मेरी,
हर घड़ी हर पहर,मुझको बस तमन्ना है तेरी।
तेरे बिन दुनियाँ में अब और क्या हमारा है?
मेरे हमदम! तू ही मेरा जीने का सहारा है।।
?????
रचना- पूर्णतः मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृहजिला- सुपौल
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०-9534148597