” हम”गलथोथरि”मे निपुण छी “
( व्यंग )
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
====================
निपुणताक पराकाष्ठा पर आरूढ आइ धरि कियो नहि भ सकलाह !..हम लिखि सकैत छी परंच बाजि नहि सकैत छी !….अभिनय केर महारथी भेलहुँ…त नीक गायक नहि भेलहुँ !…साहित्यक रस स्वादन करबा मे आनंदक अनुभूति होइत अछि मुदा साहित्यिक समालोचना हमरा बूते हैत नहि !…हम आउटडोर गेम खेला नहि सकैत छी…इंडोर गेम कोनो हमरा सं छुटल नहि !…..एहिना निपुणताक चाननक लेप किनको मस्तक पर नहि लागि सकल !
…इ यंत्र हमर लोलना भ गेल ! ..दिन राति एकरे लय उगैत छी..आ एकरे लय डूबैत छी!..आर किछु नहि सोहाइत अछि ! लागल रहैत छी…आब त इ हमर बुझु ‘कुंडल आ कवच ‘ बनि गेल !…. जखन हम एकरा घेंट मे टंगने फिरैत छी…प्रियतमा बनि गेल हमर इ मोबाइल !..तखनो हम निपुण नहि भ सकलहूँ !
..हमरा एतेक समय भेटिए नहि रहल अछि जे हम कोनो गप्प कें स्पष्ट आ शुद्ध लिखी …हमरा त ध्यान कोनो आर एप्प पर लागल रहैत अछि तें हम you कें u लिखी देत छी !.. व्याकरणक ज्ञान नहि अछि ! ताहि हेतु बहुत रास गलतिओ लिखी देत छियनि …!
हाँ…. निपुणता हमरा मे एकटा अछि ..हम “गलथोथरि” मे पी ० एच्० डी केने छी!…..मजाल अछि हमरा सं कियो जीत जेताह ?…कियो जे हमर गल्ती इंगित करताह…त हम जे न सेह क देबनि…!
…परंच कोनो समतुल्य वा श्रेष्ठ लोकनिकें गलथोथरि वाला शस्त्र क प्रयोग कथमपि नहि करैत छी आ नहि करबनि !..हुनका लोकनि केँ कहि देइत छियनि….”एहनो लिखल जा सकैत अछि !“….” हम अखन सीख रहल छी !“….इत्यादि -इत्यादि कहि “”गलथोथरि” वाला निपुणता कें देखा देत छियनि..तथापि सिखबा क चेष्टा नहि करैत छी !
======================
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड