*हटरी (बाल कविता)*
हटरी (बाल कविता)
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यह देखो यह प्यारी हटरी
रंग-बिरंगी न्यारी हटरी
मिट्टी से है इसे बनाया
नाजुक इसका रूप कहाया
इस पर एक दीप है जलता
उजियारा हटरी में पलता
हटरी कुछ चाँदी-सोने की
रूपहली जादू- टोने की
हटरी नई साल हर लाते
दीवाली पर इसे सजाते
मिट्टी की हटरी बतियाती
अपने मन की बात सुनाती
आओ चलो घूम कर आएँ
धनतेरस पर हटरी लाएँ
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451