हक की लड़ाई
हक की लड़ाई
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आज विश्व का शायद ही कोई ऐसा देश हो जहाँ किसी न किसी हक के लिए धरना, विरोध प्रर्दशन, आंदोलन, चक्का जाम,हिंसक विरोध प्रदर्शन न होता हो या आगे नहीं होगा।ये मानवीय स्वभाव त़ो है ही,संवैधानिक हक भी है।
हक पाना हर प्राणी का हक है लेकिन शासन सत्ता, दबंग, माफिया आदि के द्वारा जनता, कमजोर वर्ग के हकों पर कुठाराघात करना जैसे इनका जन्मसिद्ध आधिकार हो।जिसका परिणाम यह होता है कि बहुत बार शान्तिपूर्ण प्रदर्शन आन्दोलन हिंसक रूप ले लेता है,जिसके परिणाम स्वरूप जन धन की भारी हानि भी होती है।
हक की लड़ाई हमेशा होती ही रहेगी।क्योंकि सभी को उसके मन मुताबिक हक मिल सके ये भगवान के लिये भी संभव नहीं है।
✈सुधीर श्रीवास्तव