हई टहनियाँ सूख
संबंधों के मर्म को ,……..समझा है बस ऱूख !
हुआ जख्म जड़ को जहाँ ,गई टहनियाँ सूख !!
देख नजारा बाढ का,यही निकाला सार !
होगा जल मे इस दफा,रावण का संहार !!
रमेश शर्मा
संबंधों के मर्म को ,……..समझा है बस ऱूख !
हुआ जख्म जड़ को जहाँ ,गई टहनियाँ सूख !!
देख नजारा बाढ का,यही निकाला सार !
होगा जल मे इस दफा,रावण का संहार !!
रमेश शर्मा