हंसगति
हंसगति
तज मन मूरख मोह- स्वार्थ का घेरा।
जाना सब ही छोड़, नहीं कुछ तेरा।
क्यों ये जोड़-बटोर ? बाँट दे सबको।
अपना ही परिवार, मान ले जग को।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
हंसगति
तज मन मूरख मोह- स्वार्थ का घेरा।
जाना सब ही छोड़, नहीं कुछ तेरा।
क्यों ये जोड़-बटोर ? बाँट दे सबको।
अपना ही परिवार, मान ले जग को।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद