हंगामा है क्यों बरपा..?
मैं इश्क़ लिखूं
या इंकलाब!
कुदरत लिखूं
या समाज!!
एक हंगामा
हो ही जाता है!
ज़िंदगी लिखूं
या किताब!!
Shekhar Chandra Mitra
मैं इश्क़ लिखूं
या इंकलाब!
कुदरत लिखूं
या समाज!!
एक हंगामा
हो ही जाता है!
ज़िंदगी लिखूं
या किताब!!
Shekhar Chandra Mitra