हँसना नही आता
****** हँसना नही आता *******
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कहूँ क्या आपसे कहना नही आता,
मिले जो गम हमे सहना नही आता।
किनारों साथ हम दोनों खड़े अक्सर,
नदी की धार सा बहना नहीं आता।
मिली हैं ठोकरें यारों सदा हमको,
गैरों के साथ तो चलना नहीं आता।
नही हम चल सके उनके बताए पर,
खड़े गर सामने मरना नही आता।
मिले गम हैं बहुत सारे ही मनसीरत,
दुखों को पार कर हँसना नही आता।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)