हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहत
हँसना चाहता हूँ हँसाना चाहता हूँ ,कुछ हास्य कविता गढ़ना चाहता हूँ !
हँसी के लम्हों को इकठ्ठा करके मैं ,चेहरे पे बस मुस्कान देना चाहता हूँ !!
कभी दिल चाहता प्यार ही प्यार हो ,खिलखिला कर प्यार की बहार हो !
ज़िंदगी कुछ भी नहीं इसके सिवा ,प्यार की गंगा का अविरल धार हो !!
व्यंग में अनुराग प्रेम हम करते रहें ,दूसरों को सम्मान ही हम करते रहें !
हो सुगम आनंद का क्षण हर हमेशा ,सबके दिलों में राज भी करते रहें !!
शालीनता ,शिष्टाचार है अस्त्र अपना ,माधुर्यता ,सम्मान, प्रेम है वस्त्र अपना !
जीतना है प्यार से ही सारे जहां को ,सबको पास लानेका है शस्त्र अपना !!
@परिमल