सफ़लता के दोहे
सफ़लता के दोहे
सफलता की राह पर
होते पग पग बाधा,
बाधाओं को पार कर
बन जाओगे राजा।।
समय समझ का फेर है
फेर में मत उलझो,
समझदारी में मुक्ति है
इस समझ को समझो।
बाहर का गुरु आया है
अंदर के गुरु जगाने,
बाहर सुरज निकाला है
अंदर का अंधेरा मिटाने।
मीठा वचन सुहाता है
कलयुग के इस दौर में,
वह सबकुछ पा जाता है
मीठे वाणी के जोर से ।
दुख में सुमिरन होत नही
सुख में सुमरिन होय,
नकारात्मक को तोड़ कर
सकारात्म होय जाए।
धन्यवाद यह शब्द नही
धन्यवाद है भाव,
हर पहर सिर्फ धन्यवाद
जीवन धन्य हो जाये।
प्रो डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री
विश्वरीकोर्ड पुरस्कृत कवि, मुम्बई