स्वास्थ्य
स्वस्थ रहे तन, स्वस्थ रहे मन
ये अनुपम वरदान है।
इसकी महत्ता जिसने समझी
पाया सब सुख निधान है।
लाख भले हो धनवर्षा घर
और प्राप्त सब कुटुम्ब समाज।
एक स्वास्थ्य यदि नहीं संभाला
प्राप्त सभी कुछ अपर्याप्त।
यही गति बस मन की भी है
स्वस्थ रहे ये रखना ध्यान।
क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष सभी से
बचकर रहने में कल्यान।
स्वस्थ रहेगा जब ये मन
तब धार ज्ञान ये पायेगा ।
श्रद्धा, करुणा, प्रेम पूर्ण हो
यश, सम्मान दिलाएगा।