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25 Mar 2022 · 1 min read

स्वामी जी

एक मुक्तक स्वामी जी को समर्पित

संस्कारों के उलटने से ही तो घनानंद बनते हैं,
विचारों के संवरने से ही तो स्वामी दयानंद बनते हैं,
मिल जाये जब गुरु कोई स्वामी परमहँस के सदृश,
तभी तो शिष्य उनके स्वामी विवेकानंद बनते हैं।

इंजी. संजय श्रीवास्तव “सरल ”
बालाघाट (मध्यप्रदेश)

Language: Hindi
410 Views
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