स्वाभिमान…
किसी और के अभिमान के लिए अच्छा उदाहरण बनने से कहीं अधिक श्रेष्ठ है, स्वयं के स्वाभिमान की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाना…. समय और इतिहास आपको उपलब्धियों के लिए नहीं, आपके साहस के लिए याद रखता है… उपलब्धियां महत्वाकांक्षा की संतान है किन्तु साहस संघर्ष का पिता। समय की प्रत्यंचा पर जो तीर जितना पीछे जाता है, भविष्य उसी की गति के आगे नतमस्तक होता है। झूठे छल और प्रपंच को साथ की आवश्यकता होती है किंतु सत्य स्वयं में साहस सिद्ध है।
-✍️देवश्री पारीक ‘अर्पिता’