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■ मुक्तिबोध की नगरी में
【प्रणय प्रभात】
“राम हुए हैं, कितने और प्रमाण दें”, “अच्छा है गांधी नहीं रहे” और “हम जहां से चले थे वहीं आ गए” जैसी चर्चित रचनाओं के सृजक और राष्ट्रीय मंचों के समर्थ कवि परम् मित्र श्री कमलेश शर्मा (इटावा, यूपी) 27 जून की रात होंगे मेरी नगरी के मेहमान। एक अंतराल के बाद उन्हें सुनेंगे श्री हजारेश्वर मेले के ऐतिहासिक मंच पर। ताज़ा करेंगे पुरानी यादें फिर से। समानता यह है कि कमलेश भाई और मैं दोनों ही सामयिक विषयों पर लिखते हैं। वक़्त की नब्ज़े पर उंगलियां जमा कर। बेखौफ़ और बेबाक हो कर। दोनों के अपने सरोकार हैं, अपनी सम्वेदनाएँ भी। देश, परिवेश और समाज के प्रति। धर्म-संस्कृति और मानवता के लिए सतत चिंतन की सोच भी। आप भी सुनिएगा या पढ़िएगा आयोजन और भेंट के बारे में। आयोजन के अगले दिन।।