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16 Jul 2024 · 1 min read

स्वयं को चरित्रवान बनाना अपने हाथ में है और आसान भी है

स्वयं को चरित्रवान बनाना अपने हाथ में है और आसान भी है,पर चरित्र अगर भ्रष्ट हो जाय,तो उसे सुधारना अत्यंत कठिन है।

पारस नाथ झा

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