स्वयं को चरित्रवान बनाना अपने हाथ में है और आसान भी है
स्वयं को चरित्रवान बनाना अपने हाथ में है और आसान भी है,पर चरित्र अगर भ्रष्ट हो जाय,तो उसे सुधारना अत्यंत कठिन है।
पारस नाथ झा
स्वयं को चरित्रवान बनाना अपने हाथ में है और आसान भी है,पर चरित्र अगर भ्रष्ट हो जाय,तो उसे सुधारना अत्यंत कठिन है।
पारस नाथ झा