……..स्वयं का मोल…….
……..स्वयं का मोल…….
मिलन सारिता,प्रेम,लगाव आदि
बेहद जरूरी है
बावजूद इसके,आपको अपनी भी
कीमत स्वयं ही निर्धारित करनी होगी..
आपका पद,रिश्ता,भूमिका
आपको खुली छूट नही देता
आप जहां,जिस जमीन पर ,जिसके साथ
खड़े हैं ,वहां आपका कुछ मूल्य भी है…
अधिक सस्ती या सुलभ उपलब्धता
वस्तु हो या व्यक्ति
उसकी गरिमा को गिरा देता है
निगाह मे आप बहुत हल्के हो जाते हैं..
मेल आपके मन मे नही बेशक
लोगों को आपसे लाभ लेना आता है
और ऐसी स्थिति मे ,एक दिन
आपका टूट जाना संभव है..
महंगे बनोगे तो महंगे बिकोगे
अन्यथा ,शोरूम और फुटपाथ के अंतर को
समझलेना ही बेहतर होगा
हर बात समझाई नही जा सकती…
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मोहन तिवारी,मुंबई