*स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो*
स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो
चौकन्ना जगी आंखों में स्वप्न तेरे हर बार हो,अगर समूह में बैठा है तो तेरा वो दरबार हो।
तू काल को भी मात दे तू स्वयं ही महाकाल हो ,स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो।
तू झुके न कभी चाहे मुसीबतों का अंबार हो ,खुली आंखों से देखे सपने सच तेरे हर बार हो ।
राह की मुसीबतें तेरे हाथो ही हलाल हो,स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो।
तू अडिग रहे सदा भले हीआंधियां सवार हो,दृढनिश्चय बना रहे चाहे बिजलियों का वार हो,
तू बौना कर दे उन्हें कितने भी ऊंचे पर्वतमाल हो।स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो।
अभिमानी न बन भले ही भरा पूरा घर बार हो,सादा जीवन हो तेरा और मन में उच्च विचार हो ,
ईमान को न बेच चाहे हीरे से भरी थाल हो,स्वप्न को साकार करे साहस वो विकराल हो।
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