स्वदेश के ही नाम पर
राजनीति के दलदल को, अज़ीब रहने दो,
हम सब को एक दूजे का, अजीज़ रहने दो।
पार्टियों के नाम पर, मतभेद से मिलेगा क्या?
स्वदेश के ही नाम पर, करीब रहने दो।
राजनीति के दलदल को, अज़ीब रहने दो,
हम सब को एक दूजे का, अजीज़ रहने दो।
पार्टियों के नाम पर, मतभेद से मिलेगा क्या?
स्वदेश के ही नाम पर, करीब रहने दो।