स्वतंत्रता
मुक्तक
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प्रिय सभी को स्वतंत्रता, अपने मन की चाह।
सभी चाहते विचरना, अपनी अपनी राह।
सबको सब सुख चाहिए, बिना किसी प्रतिबंध।
और चाहते हर समय, जीवन बेपरवाह।
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बहुत जरूरी समझना, आजादी का मोल।
बिन इसके मझधार में, नैया जाती डोल।
रहें जागरुक हर समय, सबको लेकर साथ।
अकर्मण्यता के पड़े, बंधन सारे खोल।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य , मण्डी (हि. प्र.)