*स्वच्छ मन (मुक्तक)*
स्वच्छ मन (मुक्तक)
सताया नहीं है मिटाया नहीं है।
कभी स्वार्थ में आ पटाया नहीं है।
मिला राह में जो दिया साथ उसका।
कभी कष्ट दे के भगाया नहीं है।
दिलेरी दिखायी सहारा दिया है।
बना नीति शुभ्रा उबारा किया है।
सदा गीत गाए बने राग प्रेमी।
मिले से स्वयं ही गुजारा किया है।
ऋतुराज वर्मा